हम तुम एक कमरे में - Hum Tum Ek Kamre Mein (Lata Mangeshkar, Shailendra Singh, Bobby)

Movie/Album: बॉबी (1973)
Music By: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: लता मंगेशकर, शैलेन्द्र सिंह

बाहर से कोई अन्दर न आ सके
अन्दर से कोई बाहर न जा सके
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो

हम तुम, इक कमरे में बन्द हों
और चाभी खो जाये
तेरे नैनों के भूल भुलैय्या में
बॉबी खो जाये
हम तुम एक कमरे में...

आगे हो घनघोर अन्धेरा (बाबा मुझे डर लगता है)
पीछे कोई डाकू लुटेरा (उँ, क्यों डरा रहे हो)
आगे हो घनघोर अन्धेरा, पीछे कोई डाकू लुटेरा
उपर भी जाना हो मुशकिल, नीचे भी आना हो मुशकिल
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम कहीं को जा रहे हों, और रस्ता भूल जाये
तेरी बैय्याँ के झूले में सैय्याँ, बॉबी झूल जाये
हम तुम एक कमरे में...

बस्ती से दूर, परबत के पीछे, मस्ती में चूर घने पेड़ों के नीचे
अन्देखी अन्जानी सी जगह हो, बस एक हम हो दूजी हवा हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम एक जंगल से गुज़रें, और शेर आ जाये
शेर से मैं कहूँ तुमको छोड़ के, मुझे खा जाये
हम तुम एक कमरे में...

ऐसे क्यों खोये खोये हो, जागे हो कि सोये हुए हो
क्या होगा कल किसको खबर है, थोड़ा सा मेरे दिल में ये डर है
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम, यूँ ही हँस खेल रहे हों, और आँख भर आये
तेरे सर की क़सम तेरे ग़म से, बॉबी मर जाये
हम तुम एक कमरे में...

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